Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ 7. अत एवैच् से 3/145 अत एवैच से (अतः) + (एव) + (एच)] से अतः (अत्) 5/1 एव = ही एच (एच) 1/1 से (से) 1/1 अकारान्त से परे ही एच् → ए (और) से (होते हैं) (आकारान्त, ओकारान्त आदि से परे नहीं)। केवल अकारान्त क्रिया से परे ही ए (अन्य पुरुष एकवचन का प्रत्यय) और से (मध्यम पुरुष एकवचन का प्रत्यय) होते हैं । आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं से परे ए और से प्रत्ययों का प्रयोग नहीं किया जाता है। (हस + ए) = हसए (अन्य पुरुष, एकवचन) (ठा + ए) = ठाए नहीं बनेगा। (हो + ए) = होए नहीं बनेगा। (हरस + से ) = हससे (मध्यम पुरुष, एकवचन) (ठा + से) = ठासे नहीं बनेगा। (हो + से) = होसे नहीं बनेगा। सिनास्तेः सिः 3/146 सिनास्तेः सिः (सिना) + (अस्तेः)} सिः सिना (सि) 3/1 अस्तेः (अस्ति) 6/1 सिः (सि) 1/1 . सि (मध्यम पुरुष एकवचन के प्रत्यय) सहित अस्तित्ववाचक अस के स्थान पर सि ही (होता है)। अस् क्रिया के वर्तमानकाल में मध्यमपुरुष एकवचन के प्रत्यय सि परे होने पर सि सहित सि रूप ही बनेगा। (अस् + सि) = सि (वर्तमानकाल, मध्यम पुरुष, एकवचन) प्रौढ प्राकृत--अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96