Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 88
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org प्राकृत - अपभ्रंश रचना सौरभ (xii) 35.3/177 वर्तमाना- भविष्यन्त्योश्च ज्जज्जा वा {(भविष्यन्त्योः)+(च)} {(ज्जः) + (ज्जा)} 36. 3 / 178 मध्ये च स्वरान्ताद्वा {(स्वरान्तात्) + (वा)} 37 3/179 क्रियातिपत्तेः 38.3/180 न्त – माणौ 39. 3 / 181 शत्रानश: {(शतृ) + (आनश:)]. 12,10 4 1 वर्तमाना (वर्तमाना) भविष्यन्त्योः (भविष्यन्ति) 7/2 च ज्जः ज्जा वा मध्ये च स्वरान्तात् वा न्त माणौ च (ज्ज) 1/1 (ज्जा) 1/1 (वा) क्रियातिपत्तेः (क्रियातिपत्ति) 6/1 शतृ आनश: (मध्य) 7/1 (च) (स्वरान्त) 5/1 (वा) (न्त) (माण) 1/2 (शतृ) (आनश) 6/1 हरि राम लता राम राम हरि राम भूभृत्

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