Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 91
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org (xv) प्रौढ प्राकृत - अपभ्रंश रचना सौरभ 48. 4 / 383 मध्य-त्रयस्याद्यस्य हि ((त्रयस्य) + (आद्यस्य ) } 49. 4/384 बहुत्वे हुः 50. 4 / 385 अन्त्य - त्रयस्याद्यस्य उं {(त्रयस्य) + (आद्यस्य ) } 51. 4/386 बहुत्वे हुं 52. 4/387 हि- स्वयोरिदुदेत् {(स्वयोः) + इत्) + (उत्) + (एत्)] 3 3 9,4 मध्य त्रयस्य आद्यस्य हि: बहुत्वे हुः अन्त्य त्रयस्य आद्यस्य बहुत्वे GOL. (2. स्वयोः इत् उत् एत् मध्य (त्रय) 6/1 (3TTET) 6/1 (हि) 1/1 (बहुत्व) 7/1 (हु) 1/1 (अन्त्य) (त्रय) 6/1 (3TTET) 6/1 (उं) 1/1 ( बहुत्व) 7/1 () 1/1 (हि) (स्व) 6/2 (इत्) 1/1 (उत्) 1/1 (एत) 1/1 राम राम हरि राम गुरु राम राम परम्परानुसरण राम परम्परानुसरण राम भूभृत् भूभृत् भभूत

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