Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 90
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org प्रौढ प्राकृत--अपभ्रंश रचना सौरभ (xiv) 44. 4/273 दिरिचेचोः ((दिः) + (इच) + (एचो:) } 45. 4/274 अतो देश्च {(अतः) + (देः) + (च)} 46. 4 / 275 भविष्यति स्सिः अपभ्रंश के क्रिया-कृदन्त सूत्र 47. 4/382 त्यादेराद्य-त्रयस्य बहुत्वे हिं न वा {(ति) + (आदेः) + (आद्य)] 9 11, 12 1,9 दिः इच् एचो: अतः च भविष्यति स्सिः 4 आदेः आद्य त्रयस्य बहुत्वे हिं te 16 न वा (दि) 1/1 (इच) (एच) 6/2 (अत्) 5/1 (दे) 1/1 (च) (भविष्यत्) 7/1 (स्सि) 1/1 (ति) (3mfa) 6/1 (आद्य) (त्रय) 6/1 (बहुत्व) 7/1 (हिं) 1/1 नवा हरि भूभृत् भूभृत् परम्परानुसरण भूभृत् हरि हरि राम राम परम्परानुसरण

Loading...

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96