Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 87
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org प्रौढ प्राकृत- अपभ्रंश रचना सौरभ (xi) 31.3/173 दुसुमु विध्यादिष्वे कस्मिंस्त्रयाणाम् ((विधि) + (आदिषु) + (एकस्मिन्) + (त्रयाणाम्)} 32.3/174 सोर्हिर्वा ((सो: ) + (हि.) + (वा) ] 33. 3/175 अत इज्जस्विज्जहीज्जे-लुको वा {(अतः) + (इज्जसु) + (इज्जहि) + (इज्जे) - (लुकः) + (वा)} 34. 3 / 176 बहुषु न्तु ह मो {(हः) + (मो)} 1,8 9 10,1,3,11 10 दु सु मु विधि आदिषु एकस्मिन् त्रयाणाम् सोः हि: वा अतः इज्जसु इज्जहि इज्जे लुक: वा बहुषु न्तु his tr (दु) 1/1 (सु) 1/1 (मु) 1/1 (विधि) (आदि) 7/3 (एक) 7/1 (त्रय) 6/3 ()6/1 (हि) 1/1 (वा) (अत्) 5/1 (इज्जसु) (इज्जहि) (इज्जे) (लुक) 1/3 (वा) (बहु) 7/3 (न्तु) 1/1 (ह) 1/1 (मो) 1/1 परम्परानुसरण परम्परानुसरण परम्परानुसरण हरि एक राम गुरु हरि भूभृत् भूभृत् गुरु परम्परानुसरण राम परम्परानुसरण

Loading...

Page Navigation
1 ... 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96