Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 85
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org प्रौढ प्राकृत - अपभ्रंश रचना सौरभ (ix) 22.3/160 ई अ - इज्जौ क्यस्य 23.3/162 सी ही हीअ भूतार्थस्य ((हीअ:) + (भूतार्थस्य)} 24. 3/162 व्यञ्जनादीअ: {(व्यञ्जनात्) + (ईअ:) 25.3/164 तेनास्तेरास्यहेसी ((तेन) + (अस्तेः) + (आसि) + (अहेसी)] 26. 3/165 ज्जात् सप्तम्या इर्वा {(ज्जात्) - (सप्तम्याः) + (इः) + (वा)} 10 3,9,1 10,9 ईअ इज्जौ क्यस्य सी ही हीअ: भूतार्थस्य व्यञ्जनात् ईअ तेन अस्तेः आसि अहेसी ज्जात् सप्तम्याः his Fo इः वा (331) (इज्ज) 1/2 (क्य) 6/1 (सी) 1/1 (ही) 1/1 (हीअ) 1/1 (भूतार्थ) 6/1 (व्यञ्जन) 5/1 (ईअ) 1/1 (a) 3/1 (अस्ति) 6/1 (आसि) 1/1 ( आहेसी) 1/1 (ज्ज) 5/1 (सप्तमी) 5/1 (3) 1/1 (वा) राम राम नदी नदी राम राम राम राम राम हरि वारि नदी राम स्त्री हरि

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