Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 57
________________ . वर्तमान आकारान्त, ओकारान्त क्रिया (ठा, हो) एकवचन बहुवचन उत्तमपुरुष ठामि (3/141). ठाज्ज, ठाज्जा (3/177, 1/84). ठाज्जमि,ठाज्जामि (3/178, 3/141, 1/84) मध्यमपुरुष ठासि (3/140). ठाज्ज, ठाज्जा (3/177). ठाज्जसि, ठाज्जसे ठाज्जासि, ठाज्जासे (3/178, 3/140) ठामो, ठामु, ठाम (3/144), ठाज्ज, ठाज्जा (3/177). ठाज्जमो, ठाज्जमु, ठाज्जम ठाज्जामो, ठाज्जामु, ठाज्जाम (3/178, 3/144) ठाह, ठाइत्था, ठाध (3/143,4/268) ठाज्ज, ठाज्जा (3/377) ठाज्जह, ठाज्जइत्था, ठाज्जध, ठाज्जाह, ठाज्जाइत्था, ठाज्जाध (3/178,3/143.4/268) अन्यपुरुष ठाइ, ठादि (3/139,4/273). ठन्ति, ठन्ते, ठाइरे (3/142,1/84). ठाज्ज, ठाज्जा (3/177). ठाज्ज, ठाज्जा (3/177). ठाज्जइ, ठाज्जए ठाज्जन्ति, ठाज्जन्ते, ठाज्जइरे, ठाज्जाइ,ठाज्जाए ठाज्जान्ति, ठाज्जान्ते, ठाज्जाइरे (3/178,3/139) (3/178, 3/142) नोट- सूत्र 1/84 के अनुसार संयुक्ताक्षर से पूर्व दीर्घ स्वर हो तो वह हृस्व हो जाता है । ठाज्ज→ ठज्ज, ठाज्जा → ठज्जा । इसी प्रकार अन्य रूप बना लेने चाहिए। इसके अतिरिक्त आकारान्त, ओकारान्त धातुओं को बिना हस्व किये अर्थात् 'अ' विकरण लगाकर भी रूप बनाये जा सकते हैं । जैसे-ठाअज्ज (देखें सूत्र - 4/240) प्रौढ प्राकृत--अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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