Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 79
________________ मै: + म्हि = मै हि (सूत्र - 3 / 147) अवि: + वा = अविर्वा (सूत्र - 3 / 150) सोः + हि सोर्हि (सूत्र - 3/174) अस्तेः + आसि अस्तेरासि (सूत्र - 3 /164) = गमेः + एप्पिणु = गमेरेपिणु (सूत्र - 4/442) यदि विसर्ग से पहले अ या आ और बाद में कोई स्वर अथवा व् भ् म्, ज्आदि 10. हों तो विसर्ग का लोप हो जाता है 12. है (iii) ज्जः + ज्जा = ज्ज ज्जा (सूत्र- 3 /177) 11. यदि विसर्ग से पहले अ हो और विसर्ग के बाद व् द् आदि हों तो अ और विसर्ग मिलकर ओ हो जाता है = अतः + एवैच् = अत एवैच् (सूत्र - 3/145) म्हा: + वा = म्हा वा (सूत्र - 3 / 147) सप्तम्याः + ई = सप्तम्या ई (सूत्र - 3 / 165 ) हीअ + भूतार्थस्य = हीअ भूतार्थस्य ( सूत्र - 3/162) हः + मो = ह मो (सूत्र - 3/176) आडः + वा == आडो वा (सूत्र - 3 / 151) अतः + देश्च = अतो देश्च (सूत्र - 3 / 274) यदि विसर्ग के बाद त् हो तो विसर्ग के स्थान पर स् और च् हो तो श् हो जाता क्त्वः + तुम् = क्त्वस्तुम् (सूत्र - 2 /146) (क्रम संख्या - 41 ) अत्थिः + ति = अत्थिस्ति (सूत्र - 3 / 148 ) भविष्यन्त्योः + च = भविष्यन्त्योश्च ( सूत्र - 3 /177) Jain Education International प्रौढ प्राकृत- अपभ्रंश रचना सौरभ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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