Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 77
________________ परिशिष्ट - 1 सूत्रों में प्रयुक्त सन्धि-नियम स्वर सन्धि 1. यदि इ, उ, ऋ के बाद भिन्न स्वर अ, आ, ए आदि आवे तो इ के स्थान पर य, उ के स्थान पर व और ऋ के स्थान पर र हो जाता है ति + आदीनाम् = त्यादीनाम् (सूत्र - 3/139) बहुषु + आद्यस्य = बहुवाद्यस्य (सूत्र - 3/142) इज्जसु - इज्जहि = इज्जस्विजहि (सूत्र -3/175) गुरु + आदेः = गुवां देः (सूत्र -3/150) शत् + आनशः = शत्रानशः (सूत्र -3/181) 2. यदि अ, आ के बाद इ आवे तो दोनों के स्थान पर ए और बाद में ए आवे तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है आद्यस्य + इच् = आद्यस्यच् (सूत्र -3/139) . मध्यमस्य + इत्था = मध्यमस्यत्था (सूत्र -3/143) एव + एच् = एवैच् (सूत्र- 3/145) 3. यदि अ, आ के बाद अ या आ आवे तो दोनों के स्थान पर आ और इ, ई के बाद इ, ई आवे तो दोनों के स्थान पर ई हो जाता है आव + आवे = आवावे (सूत्र - 3/149) इज्जहि + इज्जे = इज्जहीज्जे (सूत्र- 3/175) सिना+अस्तेः = सिनास्तेः (सूत्र - 3/146) तेन + अस्तेः = तेनास्तेः (सूत्र -3/164) प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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