Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 74
________________ भविष्यत्काल अकारान्त क्रिया (हस ) एकवचन उत्तमपुरुष हसिसउं, हसेसउं (4/388 ) हसिहिमि, हसेहिमि (3/157) बहुवचन हसिसहुं, हसेसहुं (4/388), हसिहिमो, हसिहिमु, हसिहिम, हसे हिमो, हसेहिमु, हसे हिम (3/157) मध्यमपुरुष हसिसहि, हसेसहि (4/388 ), हसिसहु, हसेसहु (3/388), हसिहिसि, हसिहिसे, हसेहिसि, हसिहिह, हसिहित्था, हसेहिसे (3/157) अन्यपुरुष हसिसइ, हसेसइ, हसिसए, हसेस (4/388), हसिहिइ, हसिहिए, हसेहिइ, हसेहिए (3/157) एकवचन उत्तमपुरुष सउं (4/388), feft (3/157) मध्यमपुरुष सहि (4/388), हिसि, हिसे (3/157) भविष्यत्काल अकारान्त क्रिया (प्रत्यय) अन्यपुरुष सइ, सए (4/388) हिइ, हिए ( 3 / 157) Jain Education International प्रौढ प्राकृत - अपभ्रंश रचना सौरभ हसेहिह हसेहित्था, ( 3 / 157) हसिसहिं, हसेसहिं (4/388), हसिहिन्ति, हसिहिन्ते, हसिहिइरे, हसेहिन्ति, हसे हिन्ते, हसेहिइरे (3/157) + बहुवचन सहुं (4/388 ). हिमो, हिमु, हिम (3/157) सह (4/388 ), हिह. हित्था (3/157) सहिं (4/388 ). हिन्ति, हिन्ते, हिरे (3/157) For Private & Personal Use Only 67 www.jainelibrary.org

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