Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 35
________________ 26. ज्जात्सप्तम्या इर्वा 3/165 ज्जात्सप्तम्या इर्वा (ज्जात्) + (सप्तम्याः) + (इ:) + (वा)} ज्जात् (ज्ज) 5/1 सप्तम्याः (सप्तमी) 5/1 इ: (इ) 1/1 वा = विकल्प से (क्रिया से परे ) सप्तमी अर्थक (विधिअर्थक प्रत्यय) ज्ज से परे विकल्प से 'इ'. (होता है)। विधि (हस) एकवचन बहुवचन उत्तमपुरुष हसेज्जइ हसेज्जइ मध्यमपुरुष हसेज्जइ हसेज्जइ अन्यपुरुष हसेज्जइ हसेज्जइ (सूत्र-3/158 से क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' हुआ है) विधि (ठा) उत्तमपुरुष ठज्जइ ठज्जइ मध्यमपुरुष ठज्जइ ठज्जइ अन्यपुरुष ठज्जइ ठज्जइ (सूत्र-1/84 के अनुसार संयुक्ताक्षर से पूर्व दीर्घ स्वर हो तो वह हृस्व हो जाता है।) विधि (हो) एकवचन बहुवचन उत्तमपुरुष होज्जइ होज्जइ मध्यमपुरुष होज्जइ अन्यपुरुष होज्जइ होज्जइ होज्जइ प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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