Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 49
________________ वर्तमानकाल में तीन पुरुषों में से मध्यम पुरुष के एकवचन के प्रत्यय (सि आदि) के स्थान पर हि होता है । (सि आदि) (हस + हि) = हसहि (वर्तमानकाल, मध्यमपुरुष, एकवचन) वैकल्पिक पक्ष - हससि, हससे ( सूत्र - 3 / 140 ) 49. बहुत्वे हु: 4/ 384 42 हि} बहुत्वे (बहुत्व) 7/1 'हु: (हु) 1 /1 (तीन पुरुषों में से ) ( मध्यमपुरुष के ) बहुवचन में (विकल्प से) हु (होता है) । वर्तमान काल में तीन पुरुषों में से (मध्यमपुरुष के) बहुवचन में विकल्प से हु होता है । वर्तमान काल में तीन पुरुषों में से मध्यमपुरुष के बहुवचन में (थ, ध्वे के स्थान पर) विकल्प से हु होता है । (थ, ध्वे) → हु} ( हस + हु) = हसहु ( वर्तमानकाल, मध्यमपुरुष, बहुवचन) वैकल्पिक पक्ष हसह, हसित्था (सूत्र - 3 / 143) 50. अन्त्य त्रयस्याद्यस्य उं 4/385 → Jain Education International अन्त्य त्रयस्याद्यस्य उं [(अन्त्य) - ( त्रयस्य) + (आद्यस्य)] उं ((अन्त्य) - (त्रय) 6/1] आद्यस्य (आद्य) 6/1 उं (उं) 1/1 (तीन पुरुषों में से ) अन्तिम तीसरे पुरुष के एकवचन के (प्रत्यय के) स्थान पर (विकल्प से) उं (होता है) । तीन पुरुषों में से अन्तिम तीसरे पुरुष के (उत्तम पुरुष) के एकवचन के (मि, इ) प्रत्ययों के स्थान पर विकल्प से उं (होता है)। {(मि., इ) → उं (हस + उं) = हसउं (वर्तमानकाल, उत्तमपुरुष, एकवचन) वैकल्पिक पक्ष - हसमि, हसामि, हसेमि । ( सूत्र - 3 / 141, 3 / 154, 3/158) प्रौढ प्राकृत- अपभ्रंश रचना सौरभ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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