Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 50
________________ 51. बहुत्वे हुं 4/386 बहुत्त्वे (बहुत्व) 7/1 हुं (हुं)1/1 (तीन पुरुषों में से) (उत्तमपुरुष के) बहुवचन में (विकल्प से) हुं (होता है)। तीन पुरुषों में से उत्तम पुरुष के बहुवचन के प्रत्यय (मः, महे) के स्थान पर विकल्प से हुं (होता है)। (मः, महे) → हुं} (हस + हुं) = हसहं (वर्तमानकाल, उत्तमपुरुष, बहुवचन) वैकल्पिक पक्ष - हसमो, हसमु, हसम। (सूत्र - 3/144) 52. हि - स्वयोरिदुदेत् 4/387 हि - स्वयोरिदुदेत् (स्वयोः) + (इत्) + (उत्) + (एत)} (हि) - (स्व) 6/2} इत् (इत्) 1/1 उत् (उत्) 1/1 एत् (एत्) 1/1 (विधि एवं आज्ञा के) (मध्यमपुरुष एकवचन के) हि और स्व (प्रत्ययों) के स्थान पर (विकल्प से ) इत् -→ इ, उत् → उ, एत् → ए (होते हैं)। विधि एवं आज्ञा में मध्यमपुरुष एकवचन में हि और स्व प्रत्ययों के स्थान पर विकल्प से इ, उ और ए होते हैं। (हि, स्व) → इ.उ, ए} (हस + हि, स्व) = (हस + इ, उ, ए) = हसि, हसु, हसे (विधि एवं आज्ञा, मध्यमपुरुष, एकवचन) वैकल्पिक पक्ष – हसहि, हससु, हस । (सूत्र - 3/173,174) 53. वत्सर्यति-स्यस्य सः 4/388 वत्सर्यति (वत्सर्यत्) 7/1 स्यस्य (स्य) 6/1 सः (स) 1/1 भविष्यत्काल में स्य (भविष्यत्काल के प्रत्यय) के स्थान पर विकल्प से स होता है। (तत्पश्चात् वर्तमानकाल के पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं)। {(स्य) → स} और अकारान्त क्रिया के अन्त्य अ का इ और ए हो जाता है। (सूत्र-3/157) प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ 4 . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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