Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 44
________________ क्रियातिपत्ति हस एक वचन बहुवचन उत्तमपुरुष हसन्तो, हसन्ती हसन्ता, हसन्तीओ, मध्यमपुरुष हसन्तो, हसन्ती हसन्ता, हसन्तीओ, अन्यपुरुष हसन्तो, हसन्तं हसन्ता, हसन्ताई हसन्ती हसन्तीओ इसी प्रकार हसमाण के रूप चलेंगे। 39. शत्रानशः 3/181 शत्रानशः (शत) + (आनशः)} {(शत) - (आनश्) 6/1} शतृ (अत्) और आनश् (आन या मान) के स्थान पर (न्त और माण) (होते हैं)। शतृ और आनश् (वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर न्त और माण होते हैं। इनमें संज्ञाओं के समान ही विभक्ति बोधक प्रत्ययों की संयोजना की जाती है। ये विशेषण की भांति कार्य करते हैं। {(अत्) → न्त, (आन या मान) → माण} (हस + न्त, माण) = हसन्त, हसमाण हँसता हुआ राजा = हसन्तो नरिन्दो (पुल्लिंग) खिलता हुआ कमल = विअसन्तं कमलं (नपुंसकलिंग) हँसती हुई महिला = हसन्ता महिला (स्त्रीलिंग) 40. ई च स्त्रियाम् 3/182 ई (ई) 1/1 च = और स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1 स्त्रीलिंग में (वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों के स्थान पर) ई और न्ता, माणा, न्ती माणी होते हैं। प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ 37. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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