Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 45
________________ वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों के स्थान पर स्त्रीलिंग में ई और न्ता, माणा, न्ती, माणी होते हैं । हँसती हुई 38 - (सूत्र 3 / 32 के अनुसार स्त्रीलिंग बनाने के लिए 'ई' और 'आ' प्रत्ययों का प्रयोग होता है इसीलिए हसन्ती, हसमाणी, हसन्ता, हसमाणा रूप बने हैं ।) 41. क्त्वस्तुमत्तूण - तुआणा: 2 / 146 हंसन्ता, हसमाणा, हसई, हसन्ती, हसमाणी Jain Education International क्त्वस्तुमत्तूण – तुआणाः {क्त्वः) + (तुम्) + (अत्) + (तूण) - (तुआणाः) ] क्त्वः (क्त्वा) 6/1 {(तुम् ) – (अत्) - (तूण) – (तुआण) 1/3} क्त्वा के स्थान पर तुं → उं, अत् → अ, तूण ऊण, तुआण उआण (होते हैं) । क्त्वा (संबंधक भूत कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर उं, अ. ऊण, उआण होते हैं । (हस + / उं) हसिउं, हसे उं (हस + अ ) हसिअ हसेअ (हस + ऊण) हसिऊण, हसेऊण, हसिऊणं, हसेऊणं (हस + उआण) हसिउआण, हसे उआण, हसिउआणं, हसे उआणं नोट - सूत्र संख्या 3/157 से अन्त्य 'अ' के स्थान पर 'इ' व 'ए' हुआ है एवं सूत्र 1/27 से ऊण व उआण प्रत्ययों पर विकल्प से अनुस्वार की प्राप्ति हुई है । = - =3 प्रौढ प्राकृत अपभ्रंश रचना सौरभ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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