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वर्तमान कृदन्त के प्रत्ययों के स्थान पर स्त्रीलिंग में ई और न्ता, माणा, न्ती,
माणी होते हैं ।
हँसती हुई
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(सूत्र 3 / 32 के अनुसार स्त्रीलिंग बनाने के लिए 'ई' और 'आ' प्रत्ययों का प्रयोग होता है इसीलिए हसन्ती, हसमाणी, हसन्ता, हसमाणा रूप बने हैं ।) 41. क्त्वस्तुमत्तूण - तुआणा: 2 / 146
हंसन्ता, हसमाणा, हसई,
हसन्ती, हसमाणी
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क्त्वस्तुमत्तूण – तुआणाः {क्त्वः) + (तुम्) + (अत्) + (तूण) - (तुआणाः) ] क्त्वः (क्त्वा) 6/1 {(तुम् ) – (अत्) - (तूण) – (तुआण) 1/3}
क्त्वा के स्थान पर तुं → उं, अत् → अ, तूण ऊण, तुआण उआण (होते हैं) ।
क्त्वा (संबंधक भूत कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर उं, अ. ऊण, उआण होते हैं ।
(हस + / उं)
हसिउं, हसे उं
(हस + अ )
हसिअ हसेअ
(हस + ऊण)
हसिऊण, हसेऊण, हसिऊणं, हसेऊणं
(हस + उआण)
हसिउआण, हसे उआण, हसिउआणं, हसे उआणं
नोट - सूत्र संख्या 3/157 से अन्त्य 'अ' के स्थान पर 'इ' व 'ए' हुआ है एवं सूत्र 1/27 से ऊण व उआण प्रत्ययों पर विकल्प से अनुस्वार की प्राप्ति हुई है ।
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प्रौढ प्राकृत अपभ्रंश रचना सौरभ
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