Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 43
________________ 37. क्रियातिपत्तेः 3/179 क्रियातिपत्तेः (क्रियातिपत्ति) 6/1 क्रियातिपत्ति (स्यत्, स्यत आदि) के स्थान पर (तीनों पुरुषों व दोनों वचनों में ज्ज, ज्जा प्रत्यय होते हैं)। क्रियातिपत्ति (यदि ऐसा होता तो ऐसा हो जाता) के स्थान पर तीनों पुरुषों व दोनों वचनों में ज्ज, ज्जा प्रत्ययों की प्राप्ति हो जाती है। {(स्यत् , स्यत आदि)→ज्ज, ज्जा} क्रियातिपत्ति एकवचन बहुवचन उत्तमपुरुष हसेज्ज, हसेज्जा हसेज्ज, हसेज्जा मध्यमपुरुष हसेज्ज, हसेज्जा हसेज्ज, हसेज्जा अन्यपुरुष हसेज्ज, हसेज्जा हसेज्ज, हसेज्जा (सूत्र 3/159 से अन्त्य 'अ' के स्थान पर 'ए' हुआ है) 38. न्त – माणौ' 3/180 (न्त)- (माण) 1/2} (क्रियातिपत्ति के स्थान पर) न्त और माण (होते हैं)। क्रियातिपत्ति के स्थान पर न्त और माण क्रिया में जुड़ते हैं। बेचरदास दोशी के अनुसार प्रथमा विभक्ति में इनका प्रयोग होता है। (स्यत्, स्यत आदि) → न्तो, माणो, न्तं, माणं, न्ती, माणी आदि) एकवचन बहुवचन पुल्लिंग हसन्तो, हसमाणो, हसन्ता, हसमाणा नपुंसकलिंग हसन्तं, हसमाणं, हसन्ताई, हसमाणाई स्त्रीलिंग हसन्ती, हसमाणी, हसन्तीओ, हसमाणीओ, हसन्ता, हसमाणा हसन्ताओ, हसमाणाओ हेमचन्द्र की वृत्ति – क्रियातिपत्तेः स्थाने न्तमाणौ आदेशो भवतः । होन्तो, होमाणो । अभविष्यदित्यर्थः। 36 प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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