Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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बहुवचन
भविष्यत्काल (हो) एकवचन उत्तमपुरुष होज्जहिमि, होज्जाहिमि, होज्जहिमो, होज्जाहिमो,
होज्जस्सामि, होज्जास्सामि होज्जहिम, होज्जाहिम, होज्जहामि, होज्जाहामि, होज्जहिम, होज्जाहिम, होज्जस्सिमि, होज्जास्सिमि होज्जस्सामो, होज्जास्सामो,
होज्जस्सामु, होज्जास्सामु. होज्जस्साम, होज्जास्साम, होज्जस्सिमो, होज्जास्सिमो. होज्जस्सिमु, होज्जास्सिमु होज्जस्सिम, होज्जास्सिम होज्जहामो, होज्जाहामो, होज्जहामु, होज्जाहामु,
होज्जहाम, होज्जाहाम मध्यमपुरुष होज्जहिसि, होज्जाहिसि होज्जहिह, होज्जाहिह, होज्जहिसे, होज्जाहिसे होज्जहिध, होज्जाहिध
होज्जहित्था, होज्जाहित्था अन्यपुरुष होज्जहिइ, होज्जाहिइ. होज्जहिन्ति, होज्जाहिन्ति
होज्जहिए, होज्जाहिए, होज्जहिन्ते, होज्जाहिन्ते, होज्जस्सिदि, होज्जास्सिदि होज्जइरे, होज्जाइरे,
होज्जस्सिन्ति, होज्जास्सिन्ति होज्जस्सिन्ते, होज्जास्सिन्ते होज्जस्सिइरे, होज्जास्सिइरे
प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ
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