Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 36
________________ 27. भविष्यति हिरादि: 3/166 भविष्यति हिरादिः भविष्यति (हिः) + (आदिः) } भविष्यति (भविष्यत्) 7/1 हि: (हि) 1/1 आदिः (आदि) 1 / 1 वि भविष्यत् काल में (क्रिया से परे ) सर्वप्रथम 'हि' (जोड़ा जाता है ) । भविष्यत्काल में क्रिया से परे भविष्यअर्थक प्रत्यय स्यति, स्यते आदि के स्थान पर सर्वप्रथम 'हि' प्रत्यय जोड़ा जाता है, तत्पश्चात् वर्तमानकाल के पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं । (रूपावली के लिए देखें सूत्र - 3 / 157 ) 28. मि - मो - मु- मे स्सा हा नवा 3 / 167 {(मि) – (मो) – (मु) – (म) 7/1] स्सा (स्सा) 1 / 1 हा (हा) 1/1 न वा = विकल्प से (क्रिया से परे ) मि (वर्तमानकाल, उत्तम पुरुष एकवचन का प्रत्यय), मो, मु, म (उ. पु. बहु. के प्रत्यय) होने पर (भविष्यत्काल में) विकल्प से स्सा, हा (होते हैं) । भविष्यत्काल में क्रिया से परे मि, मो, मु, म होने पर उनके पूर्व विकल्प से 'स्सा' और 'हा' होते हैं। (रूपावली के लिए देखें सूत्र - 3 / 157) 29. मो - मु-मानां हिस्सा हित्था 3 / 168 मो - मु-मानां हिस्सा हित्था भो - मु - [ (मानाम्) + (हिस्सा)] हित्था {(मो) – (मु) – (म) 6/3] हिस्सा ( हिस्सा) 1 / 1 हित्था ( हित्था ) 1/1 मो. मु, म के स्थान पर (विकल्प से) हिस्सा हित्था (होते हैं) । भविष्यत्काल में क्रिया से परे हिमो, हिमु, हिम (सूत्र 3 / 157), स्सामो, स्सामु, स्साम, हामो, हामु, हाम (सूत्र 3 / 157) के स्थान पर विकल्प से 'हिस्सा' और 'हित्था जोड़े जाते हैं । प्रौढ प्राकृत- अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only 29 www.jainelibrary.org

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