Book Title: Praudh Prakrit Apbhramsa Rachna Saurabh Part 2
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 28
________________ मा, मु, ( उत्तम पुरुष बहुवचन के प्रत्यय) परे होने पर (क्रिया के अन्त्य अ' का) विकल्प से इत् इ और (आ होता है) । अकारान्त क्रियाओं से परे उत्तम पुरुष, बहुवचन के प्रत्यय मो, मु, म होने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का विकल्प से 'इ' और 'आ' होता है। ( हस + मो, मु, म ) हसामो, हसामु, हसाम (वर्तमान काल, उत्तम पुरुष, हसिमो, हसिमु, हसिम बहुवचन) 18. क्ते 3/156 क्ते (क्त) 7/1 क्त त अ परे होने पर (अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है)। त अ (भूतकालिक कृदन्त का प्रत्यय) परे होने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। (हस + अ ) हसिअ (भूतकालिक कृदन्त ) = 19. एच्च क्त्वा तुम् तव्य - भविष्यत्सु 3 / 157 एच्च क्त्वा - तुम् -तव्य - भविष्यत्सु ((एत्) + (च) ] क्त्वा तुम् - तव्य - भविष्यत्सु ― एत् (एत्) 1/1 च = और ( ( क्त्वा) - (तुम्) - (तव्य ) -- (भविष्यत्) 7/3} क्त्वा → त्वा (सम्बन्धक भूतकृदन्त के प्रत्यय) तुम् (हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्यय), तव्य (विधि कृदन्त के प्रत्यय) तथा भविष्यत्काल बोधक प्रत्यय परे होने पर (अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का ) 'ए' और (इ' होता है) । (त्वा) → उं, अ, ऊण, उआण (सम्बन्धक भूतकृदन्त के प्रत्यय), (तुम्) → उं ( हेत्वर्थक कृदन्त के प्रत्यय, ), (तव्य ) → अव्व (विधिकृदन्त के प्रत्यय) तथा भविष्यत्काल- बोधक (स्यति, स्यते आदि हि आदि ) प्रत्यय परे होने पर अकारान्त क्रिया के अन्त में स्थित 'अ' का 'ए' और 'इ' होता है। प्रौढ प्राकृत - अपभ्रंश रचना सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only 21 www.jainelibrary.org

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