Book Title: Prakrit Vidya 2000 07 Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain Publisher: Kundkund Bharti Trust View full book textPage 5
________________ क्र. शीर्षक 01. सम्पादकीय : समाजधर्म 02. बीसवीं सदी के महान् अध्यात्मक साधक आचार्य शान्तिसागर जी की सामाजिक चेतना अनुक्रम 03. 'आदिपुराण' में बिम्ब और सौन्दर्य 04. प्राकृत का लोकप्रिय छंद : गाहा 05. 'सम्राट् खारवेल के शिलालेख' की सूत्रात्मक शैली दृष्टीक्ष 06. हे पावन पर्यूषण ! आओ (कविता ) 07. दशलक्षण धर्म 08. शिक्षा व संस्कृति के उत्थान की महान् प्रेरिका : चिरोंजाबाई 09. अहिंसा ही विश्व में शांति का उपाय 10. प्राकृतभाषा का स्वरूप एवं भेद-प्रभेदों का परिचय 11. जैनदर्शन में जिन' शब्द की व्याख्या 12. भाषा, विभाषा और शौरसेनी 13. सुयोग्ह हू 14. प्राकृत-सट्टकों में प्रकृति-चित्रण 15. 'पवयणसार' के मंगलाचरण का समीक्षात्मक मूल्यांकन 16. 'प्राचीन भारत' पुस्तक में कुछ और भ्रामक कथन 17. आषाढी पूर्णिमा : एक महत्त्वपूर्ण 18. पुस्तक-समीक्षा 19. अभिमत 20. समाचार - दर्शन 21. इस अंक के लेखक - लेखिकायें प्राकृतविद्या + जुलाई-सितम्बर 2000 लेखक डॉ० सुदीप जैन धर्मेन्द्र जैन अनूपचन्द न्यायतीर्थ डॉoसुदीप जैन श्रीमती बिन्दु जैन श्रीमती इन्दु जैन श्रीमती रंजना जैन पृष्ठ सं० विद्यावाचस्पति डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव 14 प्रो० ( डॉ० ) हरिराम आचार्य 23 श्रीमती रंजना जैन 33 डॉ० दयाचन्द्र साहित्याचार्य डॉ० माया जैन श्रीमती अमिता जैन डॉ० धर्मचन्द्र जैन श्रीमती रंजना जैन राजमल जैन डॉ० सुदीप जैन 4 9 38 40' 46 53. 21 22 23 56 60 65 71 74 81 85 95 99 103 106 110 00 3Page Navigation
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