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अप्पी - अब्ब म्हण
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अप्पी स्त्री [अप्रीति ] अप्रेम, अरुचि । अप्पीक वि[आत्मीकृत ] आत्मा से संबद्ध अप्पुट्ट वि [अस्पृष्ट] नहीं छूआ हुआ, असंयुक्त | अट्ठ वि [अपृष्ट ] नहीं पूछा हुआ । अप्पुण व [दे. आपूर्ण] पूर्ण । अप्पुल्ल वि [आत्मीय] आत्मा में उत्पन्न । अप्पुव्व देखो अपुव्वं ।
अप्पेयव्व अप्प = अर्पय् का कृ. । अप्पोलि स्त्री [अप्रज्वलिता] कच्ची फलफुलहरी |
अप्पोल्ल वि [दे] नक्कर |
अप्फडिअ वि [आस्फालित ] आहत । अप्फाल सक [आ + स्फालय् ] हाथ से आघात करना । पीटना | ताल ठोकना । अप्फालिय वि [आस्फालित ] हाथ से अब हिल्लेस
ताडित, आहत । वृद्धि - प्राप्त, उन्नत ।
अब हल्लेस्स
अप्फुंद सक [ आ + क्रम् ] आक्रमण करना ।
हो, संयत ।
जाना ।
अप्फुडिय देखो अफुडिय ।
अप्फुण्ण वि [दे. आक्रान्त ] आक्रान्त, दबाया
हुआ ।
अप्फुण्ण वि [अपूर्ण ] अधूरा ।
अप्ण्णव [दे. आपूर्ण ] पूर्ण, भरा हुआ । अप्फुल्लय देखो अप्पुल्ल ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष
टूटा हुआ ।
अस व [अस्पृश्य ] स्पर्श करने के अयोग्य | अफुसिय वि [अभ्रान्त ] भ्रम-रहित । अफुस्स देखो अफुस ।
अभ न [ अब्रह्म ] मैथुन । चारि वि [चारिन्] ब्रह्मचर्य नहीं पालनेवाला । अद्धि [अबद्धिक ] 'कर्मों का आत्मा से स्पर्श ही होता है, न कि क्षीर-नीर की तरह ऐक्य' ऐसा माननेवाला एक निह्नव - जैनाभास । न उसका मत ।
अप्फोआ स्त्री [दे] वनस्पति- विशेष | achis
अप्फोल
सक [ आ + स्फोटय् ] आस्फालन करना, हाथ से ताल ठोकना,
ताड़न करना ।
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अबला स्त्री महिला 1
अबस पुं [अबश] वडवानल |
अबहिट्ट न [ दे. अबहित्य ] मैथुन, स्त्री-सङ्ग । अहम्ण [अबहिर्मनस्क ] धर्मिष्ठ ।
fa [ अहिलेश्य ] जिसकी चित्त-वृत्ति बाहर न घूमती
अबाधा देखो अबाहा ।
अबाह पुं. देश - विशेष ।
अबुझ अ [अबुद्ध्वा ] नहीं जान कर । अबुद्ध वि [अबुध ] अजान, मूर्ख । अविवेकी । अबुद्धिय वि [ अबुद्धिक ] बुद्धि-रहित, अबुद्धीय मूर्ख ।
अप्फोया स्त्री [ दे] वनस्पति- विशेष । अप्फोव वि [दे] वृक्षादि से व्याप्त, गहन । अफाय पुं [दे] भूमि- स्फोट, वनस्पति- विशेष | अफास [अस्पर्श ] स्पर्श-रहित । खराब स्पर्श वाला । अफाय वि [ अप्राक] सजीव । अग्राह्य ( भिक्षा) ।
अबोह पुंस्त्री [अबोध ] ज्ञान का अभाव । जैन धर्म को अप्राप्ति । बुद्धिविशेष का अभाव । मिथ्याज्ञान | वि. बोधि-रहित । अब्" स्त्री. ब. [ अप्° ] पानी । अब्बंभ देखो अबंभ |
अब्बभण्ण
न [ अब्रह्मण्य ] ब्रह्मण्य का अभाव ।
अफुडिअ वि [ अस्फुटित ] अखण्डित, नहीं | अब्बम्हण्ण
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बाहा स्त्री [अबाधा | बाघ का अभाव । व्यवधान, बाध-रहित समय । अबाहिर वि [अबाह्य ] आभ्यन्तर । बाहिरिय वि [अबाहिरिक ] जिसके किले के बाहर व सति न हो ऐसा गाँव या शहर | अबीय देखो अवीय |
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