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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अप्पदुट्ठ-अप्पिय विषयान्तर ।
अप्पसज्झ वि [अप्रसह्य] सहन करने के अप्पट्ट वि [अप्रद्विष्ट] जिसपर द्वेष न हो अयोग्य । वह, प्रीतिकर।
अप्पसण्ण वि [अप्रसन्न] उदासीन । अप्पदुस्समाण वकृ [अप्रद्विष्यत्] द्वेष नहीं । अप्पसत्थ वि [अप्रशस्त] असुन्दर । करता हुआ।
अप्पसत्तिय वि [अल्पसत्त्विक] अल्प सत्त्वअप्पप्प वि [अप्राप्य] प्राप्त करने के अशक्य । वाला। अप्पभाय न [अप्रभात] बड़ी सबेर । वि. ! अप्पसारिय वि [अप्रसारिक] निर्जन (स्थान)। कान्ति-वजित ।
| अप्पहवंत वकृ [अप्रभवत्] समर्थ नहीं होता अप्पभु वि [अप्रभु] असमर्थ । पुं. मालिक से हुआ, नहीं पहुंच सकता हुआ । भिन्न, नौकर वगैरह ।
| अप्पहिय वि [अप्रथित] अविस्तृत । अप्रसिद्ध । अप्पमज्जिय वि [अप्रमार्जित] साफ नहीं | अप्पाअप्पि स्त्री [दे] औत्सुक्य । किया हुआ।
अप्पाउड वि [अप्रावृत] अनाच्छादित । अप्पमत्त वि [अप्रमत्त] सावधान । °संजय अप्पाउय वि [अल्पायुष्क] थोड़ी आयुवाला । पुंस्त्री [ संयत] प्रमाद-रहित मुनि । न. | अप्पाउरण वि [अप्रावरण] नग्न । न. वस्त्र सातवाँ गुण-स्थानक ।
का अभाव । वस्त्र नहीं पहनने का नियम । अप्पमाण देखो अपमाण ।
अप्पाण देखो अप्प = आत्मन् । °रक्खि वि अप्पमाय पुं [अप्रमाद] प्रमाद का अभाव । [रक्षिन्] आत्मा की रक्षा करनेवाला। अप्पमेय वि [अप्रमेय] जिसका माप न हो अप्पाबहु न [अल्पबहुत्व] न्यूनाधिकता । सके, अनन्त । जिसका ज्ञान न हो सके। अप्पावय वि [अप्रावृत] वस्त्ररहित । बन्द प्रमाण से जिसका निश्चय न किया जा सके नहीं किया हुआ। वह ।
अप्पाविय वि [अर्पित] दिया हुआ । अप्पय देखो अप्प।
अप्पाह सक [सं + दिश] संदेश देना, खबर अप्परिचत्त वि [अपरित्यक्त] नहीं छोड़ा पहुँचाना । हुआ।
अप्पाह सक [आ +भाष्] संभाषण करना । अप्परिवडिय वि [अपरिपतित] अनष्ट, | अप्पाह सक[अधि+आपय]पढ़ाना-सिखाना । विद्यमान ।
उपदेश देना । संदेश देना । अप्पलहुअ वि [अप्रलघुक] महान्, बड़ा। अप्पाहणी स्त्री [दे] संदेश, समाचार । अप्पलीण वि [अप्रलीन] असंबद्ध, सङ्ग- अप्पाहण्ण न [अप्राधान्य] गौणता।। वर्जित ।
अप्पिड्ढिय वि [अल्पद्धिक] अल्प संपत्ति अप्पलीयमाण वकृ [अप्रलीयमान] आसक्ति वाला । नहीं करता हुआ।
। अप्पिण सक [अर्पय] अर्पण करना । अप्पवित्त वि [अप्रवत्त] प्रवत्ति-रहित । । अप्पिणिच्चिय वि [आत्मीय] निजी। अप्पवित्ति स्त्री [अप्रवृत्ति]प्रवृत्ति का अभाव । अप्पिय वि [अर्पित] दिया हुआ, भेंट किया अप्पसंत्त वि [अप्रशान्त] अशान्त, कुपित । हुआ। विवक्षित, प्रतिपादन करने को इष्ट । अप्पसंसणिज्ज वि [अप्रशंसनीय प्रशंसा के अप्पिय वि [अप्रिय] अप्रीतिकर । न. मन का अयोग्य।
दुःख । चित्त की शंका।
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