Book Title: Prakrit Bhasha Prabodhini
Author(s): Sangitpragnashreeji Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 5
________________ ज्ञातव्य और उपयोगी विषयों की अवतारणा की गयी है, जो पढ़ते ही हृदय में पैठ जमा लेते हैं। प्रयोजनीय नियमों, रूपों और उदाहरणों को व्याख्यापूर्वक समझाने का प्रयास भी प्रस्तुत कृति में किया गया है। व्याकरण, रचना और अनुवाद सम्बन्धी उन प्रारम्भिक बातों का समावेश करने का भी प्रयत्न कया गया है, जिनकी आवश्यकता भाषा को सीखने के लिए अपेक्षित है। उदाहरण-वाक्य और प्रयोग-वाक्यों से कोई भी पाठक प्राकृत बोलने और लिखने का अभ्यास कर सकता है। प्राकृत में शब्दरूपों एवं क्रियारूपों में विकल्पों का प्रयोग बहुत होता है। प्राकृत जनभाषा होने से यह स्वाभाविक भी है। अतः इस पुस्तक में पाठक को प्रायः शब्द या क्रिया के रूपों में विकल्पों की बहुलता प्राप्त होगी।

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