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प्राकृत भाषा प्रबोधिनी शब्द रूप
प्राकृत में दो तरह के शब्द होते हैं-एक है स्वरान्त और दूसरा है व्यञ्जनान्त।
स्वरान्त शब्द अ, आ, इ, ई, उ, ऊ हैं क्योंकि एकारान्त तथा ओकारान्त शब्द प्राकृत में नहीं होते हैं। इसलिए केवल अकारान्त, आकारान्त, इकारान्त, ईकारान्त, उकारान्त तथा ऊकारान्त शब्द ही प्राकृत में मिलते हैं।
प्राकृत में ऋ, ऋ और लू नहीं हैं इसलिए ऋकारान्त शब्द प्राकृत में अर, आर और कभी-कभी उकार भी हो जाते हैं।
प्राकृत में व्यंजनान्त शब्द नहीं होते, इसलिए व्यंजनान्त शब्द भी स्वरान्त हो जाते हैं।
नोट- शब्द-रूप परिशिष्ट में उल्लिखित हैं। विशेषण एवं क्रिया-विशेषण
जो शब्द अर्थवान हो, उसे नाम कहते हैं, जैसे-रामो, महावीरो। जिस नाम के पीछे विशेषण जुड़ जाता है, वह नाम विशेष्य बन जाता है। विशेषण द्वारा जिनकी विशेषता जानी जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं, जैसे-उत्तमो साहू झाइ। इसमें ‘साहू' विशेष्य है और 'उत्तमो' विशेषण। इन विशेषण शब्दों के सभी विभक्तियों के रूप, लिंग, विशेष्य के अनुसार होते हैं, जैसे
सेटो सेट्ठा
धूआ उत्तमे
सीसे। नाम और क्रिया की अवस्था में भेद दिखलाने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। विशेषण के दो भेद हैं
विशेषण
पुत्तो
नाम विशेषण
क्रिया विशेषण 1. गुणवाचक
(जिस शब्द से क्रिया की विशेषता 2. तुलनात्मक
जानी जाती है, उसे क्रिया-विशेषण 3. संख्यावाचक
कहते हैं, जैसे-मंदं गच्छइ, कूरं पासइ।) प्रकार एवं क्रमवाचक विशेषण
1. गुणवाचक विशेषण-जहां गुणवाचक शब्द विशेषण बनते हैं, उसे गुणवाचक