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प्राकृत भाषा प्रबोधिनी
इमो वत्थूण आवणो अत्य
इमा पुप्फस्स लआ अत्यि
इमा पुप्फाण लआ अत्थि
अम्हम्म जीवणं अत्यि
अम्हे पाणा सन्ति
तम्मि सत्ती अत्यि
सुखमा वस
बाले सच्चं अि
केसु बालएसु सच्चं अत्यि
सीसे विणयं अत्यि
सीसेसु णाणं अत्य
माआए समप्पणं अत्य
सुहासु वियं हव
जुवईए लायणं अत्य
कासु जुवईसु लायण्णं णत्यि
अहं णयरे वसामि
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सप्तमी विभक्ति - में / पर
अम्हे तेसु णयरेसु वसामो
फले रसं अत्य
इमेसु फलेसु रसं णत्यि
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यह वस्तुओं की दुकान है ।
यह फूल की लता है ।
यह फूलों की लता है ।
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हममें जीवन है। 1
हम सबमें प्राण है
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उसमें शक्ति है ।
उनमें क्षमा रहती है ।
बालक में सत्य है ।
किन बालकों में सत्य है ?
शिष्य में विनय है 1
शिष्यों में ज्ञान है ।
माता में समर्पण है ।
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बहुओं में विनय होता है । युवती में सौन्दर्य है।
किन युवतियों में सौन्दर्य नहीं है ?
मैं नगर में रहता हूँ ।
हम उन नगरों में रहते हैं ।
फल में रस है ।
इन फलों में रस नहीं है ।