Book Title: Prakrit Bhasha Prabodhini
Author(s): Sangitpragnashreeji Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 66
________________ प्राकृत भाषा प्रबोधिनी 57 आया और प्रकृति नव वधू की भांति खिल उठती, प्रकृति को इस रूप में देख प्राणि-जगत् भी हर्षविह्वल हो उठता है। (द) आज के युग में विद्यार्थी और समाज के जीवन को लेकर जिन जिन विषयों की चर्चा की जाती है, उनमें सर्वाधिक चर्चित विषय है अनुशासन। अनुशासन किसी भी व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की उन्नति का मूलाधान है। अनुशासनरहित जीवन में उन्नति और अभ्युदय की कल्पना को कोई स्थान नहीं। चाहे कोई राष्ट्र धन सम्पत्ति को प्राप्त कर भौतिक उन्नति के चरम शिखर पर पहुंच जाय, किन्तु यदि वहां के निवासियों के जीवन में अनुशासन का अभाव है तो उनकी सारी उन्नति ढोल की पोल के समान खोखली और निस्सार है।

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