Book Title: Prakrit Bhasha Prabodhini
Author(s): Sangitpragnashreeji Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 60
________________ 51 प्राकृत भाषा प्रबोधिनी इमं कज्जं छत्तेण णिप्पणं होइ - यह कार्य छात्र के द्वारा निष्पन्न होता है। इमाणि कजाणि छत्तेहि णिण्णाणि होति - ये कार्य छात्रों के द्वारा निष्पन्न होते हैं। सा बालाए सह गच्छइ - वह बालिका के साथ जाती है। सा बालाहि सह गच्छइ - वह बालिकाओं के साथ जाती है। मालाए सोहा होइ माला से शोभा होती है। सोहा मालाहि होइ शोभा मालाओं से होती है। पुप्फेण अच्चा होइ फूल के द्वारा पूजा होती है। पुप्फेहि अच्चा होइ - फूलों से पूजा होती है। वत्थुणा परिग्गहो होइ - वस्तु से परिग्रह होता है। वत्थूहि सुहं ण होइ वस्तुओं से सुख नहीं होता है। चतुर्थी विभक्ति के लिए इदं कमलं मज्झ अत्यि - यह कमल मेरे लिए है। इमाणि सत्याणि अम्हाण सन्ति - ये शास्त्र हमारे लिए हैं। तं पुप्फ तुज्झ अत्थि - वह फूल तेरे लिए है। ताणि फलाणि तुम्हाण सन्ति - वे फल तुम सबके लिए है। तं सत्यं छत्तस्स अत्थि - वह शास्त्र छात्र के लिए है। ताणि सत्याणि छत्ताण सन्ति - वे शास्त्र छात्रों के लिए हैं। सो बालाअ फलं दाइ - वह बालिका को फल देता है। अहं बालाण फलाणि दामि मैं बालिकाओं के लिए फल देता हूँ। सिसू मालाअ कन्दइ - बच्चा माला के लिए रोता है। सिसू मालाण कन्दइ बच्चा मालाओं के लिए रोता है। सो वत्थुणो धणं दाइ - यह वस्तु के लिए धन देता है। ते वत्थूण धणं दांति - वे वस्तुओं के लिए धन देते हैं। पंचमी विभक्ति-से तुमं काओ बीहसि ___ - तुम किससे डरते हो? ते केहिंतो विरमंति - वे किनसे दूर होते हैं?

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