Book Title: Prakrit Bhasha Prabodhini
Author(s): Sangitpragnashreeji Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 58
________________ 49 प्राकृत भाषा प्रबोधिनी तुमं गाहि ___= तुम गाओ। तुम्हे गाह सो गाउ = वह गाये। ते गान्तु मिश्रित प्रयोग अहं णेमि ___= मैं लेता हूँ। अम्हे णेमो तुमं णेसि = तुम लेते हो। तुम्हे णेइत्था सो णेइ =वह लेता है। ते णेन्ति तत्य किं होइ = वहां क्या होता है? तत्थ णच्चाणि होन्ति सो पाहिइ = वह पियेगा। ते पाहिन्ति सो ठाउ =वह ठहरे। ते ठान्तु तुम खासि = तुम खाते हो। तुम्हे खाइत्था तुमं किं णेहिसि = तुम क्या लाओगे? तुम्हें किं णेहित्या कारक/विभक्ति वाक्य-रचना प्रथमा विभक्ति-कर्ता ने बालओ सिक्खइ बालक सीखता है। बालआ सिक्खन्ति बालक सीखते हैं। छत्तो पण्हं पुच्छइ छात्र प्रश्न पूछता है। छत्ता पण्हं पुच्छन्ति छात्र प्रश्न पूछते हैं। सुधी-उवदिसइ विद्वान् उपदेश देता है। सुधिणो उवदिसन्ति विद्वान् उपदेश देते हैं। कवी पत्तं लिहइ कवि पत्र लिखता है। कविणो लिहन्ति कवि लिखते हैं। बाला वड्ढइ बालिका बढ़ती है। बालाओ वड्ढन्ति बालिकाएँ बढ़ती हैं। माआ अच्चइ माता पूजा करती है। माआओ अच्चन्ति माताएँ पूजा करती हैं। जुवई पइदिणं अच्चइ युवति प्रतिदिन पूजा करती है।

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