Book Title: Prakrit Bhasha Prabodhini
Author(s): Sangitpragnashreeji Samni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ 34 प्राकृत भाषा प्रबोधिनी प्राकृत में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग अन्य विभक्तियों के लिए भी कभी-कभी किया जाता है। कतिपय उदाहरण यहां द्रष्टव्य है सुत्तं सुत्तम्मि जाणमाणो - सूत्रों को जानने वाला सुयाणि सुएसु वेदेऊण - श्रुतों को जानकर जीवे (जीवेण) कम्मं बद्धं ___ - जीव के द्वारा कर्म बांधा गया है। सुत्तेण सह सूई ण णस्सइ सूत्र (धागे) के साथ सुई नष्ट नहीं होती। जे दंसणेसु भट्ठा - जो सम्यग्दर्शन से वंचित हैं। जे णाणे भट्ठा - जो ज्ञान से रहित हैं। प्राकृत में विभक्ति का स्वरूप निम्नलिखित है प्रथमा य द्वितीया तृतीया चतुर्थी पंचमी अकारान्त पुल्लिंग विभक्ति के प्रत्यय एकवचन बहुवचन संस्कृत प्रत्यय प्राकृत प्रत्यय संस्कृत प्रत्यय प्राकृत प्रत्यय सु (सि) ओ जस् विभक्ति का लोप, आ अम् अनुस्वार () शस् विभक्ति का लोप, ए ए+ण, णं (णा) भिस् ए + हि, हिं, हिं हु तो, ओ, भ्यस् तो, ओ, उ, हि, हि, हितो हितो, सुंतो आम् आ + ण, णं ए, म्मि सुप् __ए + सु, सुं ए + सु लोप या प्रथमा की तरह जस् प्रथमा की तरह भ्यस् षष्ठी सप्तमी सम्बोधन

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88