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प्राकृत भाषा प्रबोधिनी प्राकृत में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग अन्य विभक्तियों के लिए भी कभी-कभी किया जाता है। कतिपय उदाहरण यहां द्रष्टव्य है
सुत्तं सुत्तम्मि जाणमाणो - सूत्रों को जानने वाला सुयाणि सुएसु वेदेऊण - श्रुतों को जानकर जीवे (जीवेण) कम्मं बद्धं ___ - जीव के द्वारा कर्म बांधा गया है। सुत्तेण सह सूई ण णस्सइ सूत्र (धागे) के साथ सुई नष्ट नहीं होती। जे दंसणेसु भट्ठा - जो सम्यग्दर्शन से वंचित हैं। जे णाणे भट्ठा
- जो ज्ञान से रहित हैं। प्राकृत में विभक्ति का स्वरूप निम्नलिखित है
प्रथमा
य
द्वितीया तृतीया चतुर्थी पंचमी
अकारान्त पुल्लिंग विभक्ति के प्रत्यय एकवचन
बहुवचन संस्कृत प्रत्यय प्राकृत प्रत्यय संस्कृत प्रत्यय प्राकृत प्रत्यय सु (सि) ओ
जस् विभक्ति का लोप, आ अम् अनुस्वार () शस् विभक्ति का लोप, ए
ए+ण, णं (णा) भिस् ए + हि, हिं, हिं हु
तो, ओ, भ्यस् तो, ओ, उ, हि, हि, हितो
हितो, सुंतो
आम् आ + ण, णं ए, म्मि सुप् __ए + सु, सुं ए + सु लोप या प्रथमा की तरह जस् प्रथमा की तरह
भ्यस्
षष्ठी
सप्तमी सम्बोधन