Book Title: Pashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference
View full book text
________________
नं. १०
शास्त्रि रेवाशंकर मावजी दवेनो अभिप्राय. डाकटर - साहेब. प्राणजीवनदास जगजीवनदास महेता मु० धर्मपुर.
आप साहेब तरफथी वर्तमान पत्रिकामां सात प्रश्नो आव्यां, ते वांची जोवामां आव्यां - आधुनिक कालना राजाओमां घणुं निर्दयपणुं, अविचारीपणुं लोकोना जोवामां आवे छे. परन्तु आपत्रिका वांचतां श्री धर्मपुरना महाराजा साहेबने आवी रीते दयानी प्रवृत्ति थइने हिंसानी निवृति करवानी जे जरुर थइ छे, ते घणो वखाणवा लायक छे. अने तेनी साथे धन्यवाद आपवो जोइए छीए. क्षत्रिओने प्रजानी रक्षा करवी अने सर्व प्राणिपर समभाव राखवो एज उत्कृष्ट राज्यधर्म छे. पूर्वे पण घणा क्षत्रिओ चक्रवर्ती राजाओए अनेक प्रकारे दया अने बुद्धि पूर्वक अहिंसा, क्षमा, तितिक्षा, शौर्यता तथा धैर्यताथी प्राणिओनुं रक्षण करेलुं छे अने क्षत्रिय शब्दनो अर्थ रघुवंशमां महाकवि श्रीकालिदासे बीज सर्गमा आ रीते करेल छे के
क्षतात्किलत्रायत इत्युदग्रः क्षत्रस्यशब्दो भुवनेषुरूढः ॥ - राज्येन किं तद्विपरीतवृत्तेः प्राणैरुपक्रोश मलिम्लुचैर्वा ॥
उपरना श्लोकमां क्षत् जे हिंसा तेथी निरापराधिनी रक्षा करवी तेज क्षत्रिओनो धर्म छे. अने ते थकी विपरीतपणे वरतवाथी राज्य होय तो पण शुं अने दुष्ट प्रवृत्तिवाळा पोताना प्राणथी पण शुं आ वचन महात्मा चक्रवर्ति राजा रघुना पिता दिलीपनुं छे. श्री भगवद्गीतामां परमात्मा श्रीकृष्ण भगवाने पण कहां छे के ममैवांशो जीवलोके ।। ते वाक्यमां एवो भावार्थ छे जे आ लोकमां जेटला जीव छे ते सर्वे मारा अंश रूप छे. तो तेने हणवाथी आपणने परमात्माना अंश उपर घात करवाना दोषने पात्र थवुं पडे छे; माटे सर्व प्रकारे जे कार्यमां अहिंसारूप प्रवृत्ति होय तेज सनातन धर्म छे. बाकी जे तामस भावथी हिंसादिक कार्य करे छे ते आ लोकमां अने परलोकमां निंदित थाय छे.
ते विशे श्री गीतामां कयुं छे के,
अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम्
मोहादारभते कर्म तत्तामसमुदाहृतम् ॥
अर्थ - अनुबन्धने, क्षयने, हिंसाने, तथा पौरुषने विचार्या विना जे कर्म करवामां आवे छे ते तामस कर्म छे. अने तामसीनी गतिविषे पण गीतामां कहेलुं छे.
ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था, मध्ये तिष्ठन्ति राजसाः ॥ जघन्यगुणवृत्तित्वा दधो गछन्ति तामसाः ॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com