Book Title: Pashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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[९] abandoned since 12 years under personal orders from H.H. the Jagad Guru Maha Swamiji of Sringari Mysore.
Many thanks for your kind and noble undertaking as my father to whom you the leter died. I have taken the liberty of replying to you.
नं. १५
बराव, करछन, इलाहावाद •
Yours truly,
B. RAJA RAJSWARA. MINOR RAJA RAMNAD.
१६-१०-१९०६०
श्रीयुत वीरचन्द दीपचन्द रेसीडेन्ट जनरल सेक्रेटरी श्री जैन श्वेताम्बर कान्फरन्स - समीपेषु महाशय !
आपका पत्र सेवामें श्रीमान कुंवर राघव प्रसाद नारायण सिंहजी देव बरावाधिपति के उपस्थित किया गया. श्रीमानने कया ये लोगोकें जीव रक्षा के उद्योग करनेकी उपत्याधिक प्रशंसा की और यह राज्य श्री रामानुजीय वैश्नवकी है. यहां किसी पशुपक्षीका वध किसी औसरमें नहीं होता. जीवोंपर दया करना इस मतका सिद्धान्त है - कमधिकम्
नं. १६
राजूला.
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भवदीय भैरव सिंह वर्मा.
प्रिय महाशय,
आपका खत पाया हाल जानयस हमारे रियास्तमे किसी पशुका काम नहीं कराया जाता. आपको यकीन रखना चाहिये कि यहां धर्म से विरुद्ध कभी न होगा आपको यकीन रखना चाहिये क्योंकि कोई सखस एसा काम करता है उसको सजाय जेहलकी जाती है जबाब पोंचे:
RAO RAMPRASAD JAJIRDAR of kamtee. Rojowla.
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