Book Title: Pashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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तत्र विप्रेण जपहोमान्न बलिनैवेद्यः सात्विकी पूजा कार्या नैवे यैश्व निरामिषैः मद्यं दत्वा ब्राह्मणश्च ब्राह्मण्यादेव हीयते मद्यमपेयमदेयमित्यादि निषेधान्मांसमद्यादियुतराजसपूजायामनधिकारः
ए वचनो जोतां सात्विक पूजामां निषेध बताव्यो छे ते जरूर होय तो न बतावे. केहेशो हे ब्राह्मणने ते निषेध हो परंतु क्षत्रीने तेवो निषेध नथी, तेथी ते करे तेम केहेशो तो उपर लखेलुं वचन अवश्य नहि ठरे केम के एमां द्विज पद पड्युं छे, तेथी क्षत्रिने वैश्य लेवाय छे त्यारे क्षत्रिने पण अवश्य न ठर्यु ने अवश्य मानवो होय तो पिष्टादिकथी करे तेम जणावे छे वळी धर्मसिंधुनी उपरनी लखेली पंक्तिओनी नीचे जणान्युं छे के सर्वे प्राचीन तथा नवीन निबंधकारो निबंधमां पशु हिंसानी मनाई लखे छे वळी हाल नवीन भासुराय वीगेरे पण चंडीपाठनी टीका वगैरेमां प्राचीन ग्रंथने मळता थई पशुवध निषेध करे छे अने सभामां पण ते मत श्रेष्ठ गणायो छे तेम छतां पशुवधरूपी अन्यथा कर्मना करनार दुर्दैव्यथी पतित थया छे के शुं ते विगेरे बतान्यु छे ते ओ. माटे अवश्य नथी.
प्रश्न ५ मानो उत्तर.
प्रजा के राजाने अंगे कोई पण प्रकारनो योग आगे नहीं अने अकार्य कर्तुं एम गणाय नहीं. कारण के तेना प्रतिनिधिथी ते करवाथी सामी आपत्ति नाश थाय छे. तो व्यापत्ति आवशे नहीं. आधार
धर्मसिन्धु परि. २ प्रत ३३ पृष्ट १ पं०
कूष्माडो बलिरूपेण मम भाग्यादवस्थितः प्रणमामि ततः सर्वरूपिणीं चंडिकांप्रति ॥
दानेन दातुरापद्विनाशनं -
ए वचनमां छैलुं आपद्विनाशनं एम लख्युं छे. तेथी एम खुल्लुं जणाय छे के पशु बली आपवा करतां कूष्मांड ( कोलुं ) बली आपे तेनी आपत्ति दूर थाय अने देवी प्रसन्न थाय एवं करवाथी अकार्य कर्तुं एम केम कहेवाय किं तु शास्त्रानी आज्ञा पाली एम कहेवाय.
प्रश्न ६ नो उत्तर.
पशु वधने बदले बीजी कोई हिंसा रहित क्रिया करी ते आराधवामां आवे छे तेथी शास्त्र आज्ञा भंग थई एम कहेवाय नहीं. शास्त्रकारे पशुवध न करवो ने ते जग्याए तेने बदले बीजुं बलीदान आपवानुं बतान्युं छे.
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