Book Title: Pashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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शुभमस्तु आ जे श्लोकनी व्याख्या गुजरातीमां लखी छे. तेनुं कारण ए छे के राजाने संस्कृत ज्ञान न होवाथी लख्यु छे. अने जो कोई विद्वानने संस्कृत व्याख्यानी इच्छा होय तो संस्कृतमां लखी मोकलीशु. जे कोईनी एवी इच्छा होय के जीवहिंसा नहीं करवी ए बाबत पुरावो शुं तो तेनो प्रतिउत्तर आपवाने वास्ते रामानुजसिद्धान्तमतना आचार्य छे ते सिद्धान्त करी आपवा समर्थ छे. अने कलीने विशे गवालंभ ( यज्ञ ) करवानु निषेध छे. अने दीयर थकी दिकरा उत्पन्न करवानुं तथा सन्यास निषेध छे. ए विगेरेना बीजा हारीतस्मृतिने विशे तेमज मिताक्षराने विशे मनुस्मतिने विशे निषेध छे. ए वचन आप्यां नथी. तेनुं कारण के ग्रन्थमां प्रसिद्ध छे.
समाप्त
यादृशं पुस्तकं द्रष्टं तादृशं लिखितं मया
यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोषो न दीयतां ॥ आ कापीनी अस्सलनी कापी महाराजा मोहनदेवजी नारणदेवजी स्वस्थान धर्मपुरना तरफथी मंगावी उतारो करल छे. उतारो करनार भट बद्रीनाथ केशवराम गाम वारणना.
भट्ट केशवरामात्मजबद्रिनाथ शर्मणः सम्मतिरत्र.
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