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पञ्चतन्त्र
हो गया और क्रोध में आकर घर के अन्दर घुसकर उसने अपनी स्त्री से कहा , “पापिन, छिनाल ! तू कहाँ जाती थी ?" उसने कहा , “ मैं तुम्हारे पास से आने के बाद कहीं नहीं निकली। फिर किसलिए शराब के नशे में अंडबंड बकते हो ? अथवा ठीक ही कहा है --
"विकलता , जमीन पर गिरना, तथा अंड-बंड बकना, सन्निपात
के ये लक्षण शराब भी दिखलाती है। . "कर-स्पंद (किरणों की अस्थिरता, हाथों का काँपना), अंबर-त्याग (आकाश से चले जाना , अथवा वस्त्र-त्याग), तेज की हानि और स-रागता ( लाल बन जाना अथवा क्रोध में आ जाना ), ये सब वारुणी (पश्चिम दिशा अथवा मद्य) के साथ उत्पन्न हुई
अवस्था का अनुभव सूर्य भी करता है।" उसकी टेढ़ी बातें सुनकर और उसका बदला वेष देखकर उसने कहा, "छिनाल, बहुत दिनों से जो तेरी बुराई मैने सुन रखी थी, उसका आज मुझे सबूत मिल गया है । इसका मैं तुझे उचित दंड दूंगा।" इतना कहकर डंडे की मार से उसके शरीर का भरता निकाल उसने उसे खूटे के साथ कसकर बाँध दिया, और नशे के जोर में सो गया। उसी समय उस स्त्री की सखी एक नाइन बुनकर को सोया हुआ जानकर उसके पास जाकर कहने लगी, "सखी ! देवदत्त तो उस स्थान में तेरी बाट जोह रहा है। इसलिए तू जल्दी जा।" वह बोली, "पर तू मेरी यह हालत तो देख, मैं किस तरह जाऊँ ? तू जाकर मेरे यार से कह कि ऐसी हालत में मेरी उसके साथ भेंट नहीं हो सकती।" नाइन ने कहा, “सखी! ऐसा न कह । छिनालों का यह धर्म नहीं है। कहा है कि
"दुष्प्राय स्थानों में होने वाले जायकेदार फलों को पाने का निश्चय जिन्होंने ऊँटों की तरह किया है, उनका जन्म में प्रशंसनीय
समझती हूँ। उसी प्रकार "परलोक के होने में शक है , और संसार में लोकापवाद अजीब