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" पूर्वकाल में हरिणकशिपु के डर से, बृहस्पति की आज्ञा से, farara के प्रभाव से इन्द्र ने किला बाँधा था ।
*" और उन्होंने ही कह दिया कि जिस राजा के पास किला होगा, वह राजा विजयी होगा । इसलिए दुनिया में हजारों किले बन गए ।
““दांत के बिना सर्प, मद के बिना हाथी जैसे सबके वश में हो जाता है, उसी तरह किले के बिना राजा को भी समझना चाहिए ।" यह सुनकर भासुरक ने कहा, "किले में रहते हुए भी उस चोर सिंह को तू मुझे दिखा, जिससे मैं उसे मार डालूं । कहा है कि “जो मनुष्य शत्रु और रोग को जनमते ही दबा नहीं देता, तो उसके महा बलवान होने पर भी वही शत्रु और रोग बढ़कर उसका नाश कर देते हैं ।
उसी तरह
""अपना भला चाहने वाला उभड़ते हुए शत्रु की उपेक्षा नहीं करता; शिष्ट पुरुष बढ़ते रोग और बढ़ते शत्रु को एक समान मानते हैं । 'बेपरवाही से अहमन्य पुरुषों द्वारा उपेक्षित कमजोर दुश्मन भी पहले साध्य होते हुए भी बीमारी की तरह बाद में असाध्य हो जाता है |
मित्र-भेद
और भी
" अपना बल ध्यान में रखकर जो मान और उत्साह बढ़ाता है वह अकेला होने पर भी, परशुराम की तरह, शत्रुओं का नाश करता है ।"
खरगोश ने कहा, "ऐसा होने पर भी मैंने उस बलवान को देखा है । इसलिए स्वामी को बिना उसका बल जाने जाना ठीक नहीं है। कहा भी है -
FERME
" अपना तथा अपने शत्रु का बल बिना जाने जो हड़बड़ी में सामने जाता है, वह आग में पतिंगे की तरह नष्ट हो जाता है ।