Book Title: Panchashak Prakaranam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthan
View full book text
________________ 265 परिशिष्टम्-२ परिशिष्टम्-२ पञ्चाशकमूलगाथानामकाराद्यनुक्रमः // अंधोऽणंधो व्व सदा 11/11 अथिरो उ होइ इयरो 17/46 अकसिणपवत्तयाणं 6/42 अहव्वे टंकेण वि 3/36 अग्गीयस्स इमं कह ? 11/9 अन्नत्थारंभवओ 4/12 अट्ठमभत्तंतंमि य 19/13 अन्नमिह कोउगाइ व 13/24 अट्ठावयचंपोज्जितपावासं 19/17 अपदेसंमि ण वुड्डी 7/11 अट्ठाहिया य महिमा 8/48 अपमत्तसंजयाणं 16/43 अट्टोववासा एगंतरेण 19/30 अपमायवुडिजणगं 5/34 अणभिनिवेसाओ पुण 11/48 अपरिणयं दव्वं चिय 13/29 अणसणमूणोयरिया 19/2 अपरिवडियसुहचिंता 7/48 अणिगृहियबलविरिओ 15/27 अप्पडिदुप्पडिलेहिय 10/16 अणिसिटुं सामण्णं 13/15 अप्पडिदुप्पडिलेहिय 1/30 अणुहवसिद्धं एवं 3/25 अप्पपरिच्चाएणं 18/32 अण्णाईणं सुद्धाण 1/31 अप्पाहण्णा एवं 6/14 अण्णे उ कसादीया 14/43 अप्पाहण्णेऽवि इहं 6/13 अण्णे उ पुण्णकलसादिठावणे 8/37 अब्बंभे पुण विरई 1/46 अण्णे उ लोगिगच्चिय 3/42 अब्भत्थणाइ करणे 12/4 अण्णे तम्मासदिणेसु 19/9 अब्भुज्जयमेगयरं 18/36 अण्णे भणंति एसो 18/43 अभिवाहरणा अण्णे 2/26 अण्णे भणंति जतिणो 5/33 अमए देहगए जह 3/12 अण्णे भणंति समणादत्थं 13/34 अमहद्धण भिन्नेहि य 17/13 अण्णेसिं पुण 16/24 अम्हे उ तह अधण्णा 9/27 अण्णोऽण्णमूढदुट्ठातिकरणतो 16/23 अलमेत्थ पसंगेणं 6/50 अण्णोऽवि अस्थि चित्तो 19/23 अलमेत्थ पसंगेणं 14/45 अण्णोण्णंतरिअंगुलिकोसागारेहिं 3/19 अविरुद्धो ववहारो 1/44 अतिलोभा परियडती 13/23 अविसुद्धावि हु वित्ती 4/13 अथिरस्स पुव्वगहियस्स 12/45 असणं ओयणसत्तुगमुग्गजगाराइ 5/27

Page Navigation
1 ... 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355