Book Title: Panchashak Prakaranam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthan

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Page 308
________________ 5/23 6/32 6/33 5/15 6/44 17/1 2/1 18/1 19/1 273 ण य पढमभाववाघाय ण य भगवं अणुजाणति ण य भगवं अणुजाणति ण य सामाइयमेयं णणु तत्थेव य णमिऊण महावीरं णमिऊण महावीरं णमिऊण वद्धमाणं णमिऊण वद्धमाणं णवकारेण जहण्णा णवकारेण विबोहो णवणीओगाहिमए णवि तं सत्थं व विसं व णाऊण य तब्भावं णाणं सद्दहणं गहण णाणम्मि दंसणम्मि य णाणस्स होइ भागी णाणाइगुणजुओ खलु णाणाइजुओ य गुरू णिच्छयणएण णिच्छयणयस्स णिच्छयणया जमेसा णिप्फण्णस्स य सम्म णिप्फाइऊण एवं णिवकरलूयाकिरियाजयणाए णिस्संकिय णिक्कंखिय णीयदुवारंधयारे णेयं च भावसाहुं परिशिष्टम्-२ 17/27 3/32 4/10 14/38 5/18 18/37 7/7 3/37 4/32 10/50 6/29 8/6 18/17 16/9 17/3 1/3 16/34 णो अपरिग्गहियाए णो भावओ इमीए ण्हाणाइवि जयणाए तं कसिणगुणोवेयं तं खलु णिरभिस्संगं तं चावत्थंतरमिह तं तह पवत्तमाणं तं पुण अणत्थफलदं तं पुण संविग्गेणं तंतंतरेसुवि इमो तंतम्मि वंदणाए तग्गुणबहुमाणाओ तच्चावि एरिसच्चिय तणुओ अतिक्खतुंडो ततिओसहकप्पोऽयं तत्तत्थसदहाणं तत्तो तव्विगमो खलु तत्तो पडिदिणपूयाविहाणओ तत्तो य अट्ठमी खलु तत्तो य अहक्खायं तत्तो विसेसपूयापुव्वं तत्तो सयलसमीहियसिद्धी तत्तो सुहजोएणं तत्थ गुरुपारतंतं तत्थ पहाणो अंसो तत्थ पुण वंदणाइंमि तत्थ पुण संठिताणं तत्थ सुइणा दुहावि हु 1/42 5/11 15/37 2/33 5/26 11/44 11/16 2/34 2/11 16/50 11/45 7/49 8/16 7/43 18/27 15/24 13/11 6/25 8/50 18/14 11/4 8/49 9/39 8/21 18/22 7/38 6/48 11/17 4/9

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