Book Title: Panchashak Prakaranam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthan

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Page 315
________________ परिशिष्टम्-२ संजमजोगे अब्भुट्ठियस्स 12/10 संतेअरलद्धिजुएअराइभावेसु होइ 5/43 संदिट्ठो संदिटुस्स 12/44 संपत्ते इच्चाइसु 13/31 संपुण्णावि य किरिया 14/47 संभवइ य एसोऽवि हु 13/38 संयोजणा पमाणे 13/48 संलेहणा य अंते 1/40 संवच्छरेण भिक्खा 19/11 संविग्गअन्नसंभोइयाण 5/41 संविग्गा गुरुविणया 17/52 संविग्गो उ अमाई 15/12 संविग्गोऽणुवएसं 12/17 संवेगपरं चित्तं 15/35 सइ संजाओ भावो पायं 3/11 सइ सामत्थे एसो 12/5 सक्खा उ 6/40 सग्गामपरग्गामा 13/13 सच्चित्तं आहारं 10/23 सच्चित्तं जमचित्तं 13/7 सच्चित्तं पडिबद्धं 1/22 सच्चित्तणिक्खिवणयं वज्जइ 1/32 सज्झयादुव्वाओ 12/38 सति एयम्मि उ णियमा 11/6 सत्तविहबंधगा होंति 16/40 सत्तीऍ संघपूजा 8/38 सत्तेगट्टाणस्स उ सत्थत्थबाहणाओ 280 सत्थुत्तगुणो साहू 14/31 सद्दादिएसु रागं 16/17 सपडिक्कमणो धम्मो 17/32 समणोवासगपडिमा 10/2 समतिपवित्ती सव्वा 8/13 समभावे च्चिय तं 5/17 समभावो सामइयं 11/5 समयम्मि दव्वसद्दो 6/10 सम्म णाऊण इमं 4/50 सम्म दुच्चरितस्सा 15/36 सम्मत्तोवरि ते 10/9 सम्ममणुव्वयगुणवयसिक्खावयवं 10/17 सम्मा पलियपुहुत्तेऽवगए सयपालणा य एत्थं सरिऊण विसेसेणं 5/38 सल्लुद्धरणं च इमं 15/44 सल्लुद्धरणनिमित्तं 15/41 सव्वंगसुंदरो तह 19/28 सव्वगुणपसाहणमो 19/40 सव्वत्थ अपडिबद्धा 11/42 सव्वत्थ णिरभिसंगो 14/28 सव्वत्थ निरभिसंगत्तणेण 6/18 सव्वत्थवि पणिहाणं 3/22 सव्वस्स चेव जिंदा सव्वावत्थासु जओ 16/39 सव्वावि य पव्वज्जा 16/48 सव्वाहिं संजईहिं 17/24 सव्वेऽवि य अइयारा 17/50 2/8

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