Book Title: Panchashak Prakaranam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthan

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Page 306
________________ 271 गिहिसाहूभयपहवा गीयत्थ जायकप्पो गीयत्थो य विहारो गीयत्थो य विहारो गीयस्स ण उस्सुत्ता गुणपगरिसो जिणा खलु गुणसमुदाओ संघो गुरुआएसेणं वा गुरुकुलवासच्चाए गुरुगुणरहिओ उ गुरू गुरुगुणरहिओऽवि इहं गुरुणोऽवि णाहिगरणं गुरुदेवोग्गहभूमीएँ गुरुपारतंत णाणं गुरुपूयाकरणरई गुरुमूले सुयधम्मो गुरुवेयावच्चेणं गोसे भणिओ य विही चंदायणाइ य तहा चउकारणपरिसुद्धं चउणारीओमिणणं चत्तारि अंगुलाई चत्तारि पुण्णकलसा चरणपडिवत्तिरूवो चरमम्मि चेव भणिया चरिमाण वि तह णेयं चाउम्मासुक्कोसो चारित्तओ च्चिय दढं 13/47 11/28 11/32 14/20 14/21 8/4 8/39 5/45 11/20 11/24 11/35 2/32 12/23 11/7 7/5 चारित्तजुओ साहू चिण्णस्स णवरि लिंग चितिवंदण थुतिवुड्डी चित्तं चित्तपयजुयं चित्तबलिचित्तगंधेहि चित्ताणं कम्माणं चित्ते एगंतरओ छट्टमदसमदुवालसेहि छसु अट्ठिओ उ कप्पो छिज्जति दूसियभावो जं उत्तमचरियमिणं जं एयवइयरेणं जं कुणइ भावसल्लं जं च चउद्धा भणिओ जं जह सुत्ते भणियं जं जायइ परिणामे जं णिहियमत्थजायं जं पुण एयविउत्तं जं पुण णिरभिस्संगं जं बहुगुणं पयाणं जं वीयरागगामी जं सा अहिगयराओ जंपिय ण या लभेज्जा जइणो अदूसियस्सा जइणोऽवि हु जइविस्सामणमुचिओ जतिपज्जुवासणपरो जत्ता महूसवो खलु परिशिष्टम्-२ 11/2 16/49 8/32 19/39 8/30 18/41 19/35 5/46 17/7 16/19 2/31 8/26 15/38 6/37 11/34 8/10 10/33 11/22 1/50 4/38 19/18 14/36 8/25 3/20 8/22 6/24 2/3 17/48 17/39 11/10 7/37 6/7 1/5 11/25 6/20 6/28 1/45 10/34 9/4

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