Book Title: Panchashak Prakaranam
Author(s): Dharmratnavijay
Publisher: Manav Kalyan Sansthan

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Page 302
________________ 267 परिशिष्टम्-२ 3/31 6/26 9/49 2/19 18/29 2/42 17/47 14/50 3/33 17/49 18/42 18/31 13/45 16/31 15/5 12/29 11/23 4/17 17/21 2/14 11/29 8/29 इत्तो उ विभागाओ इत्तो च्चिय इय अण्णत्थऽवि सम्म इय अवरदक्खिणेणं इय कम्मवाहिकिरियं इय कल्लाणी एसो इय चरणम्मि ठियाणं इय णियबुद्धीऍ इमं इय तंतजुत्तिओ खलु इय ते दिणा पसत्था इय बहुमाणा तेसिं इय भावपहाणाणं इय मद्दवादिजोगा इय मोहविसं घायइ इय संवेगं काउं इय सव्वमेवमवितहमाणाए इय सव्वेणवि सम्म इय सामत्थाभावे इय सीलंगजुया खलु इय सुद्धबुद्धिजोगा इयरम्मि कसाईया इयरम्मि विगप्पेणं इयरा उ अभिणिवेसा इयराऽतब्बहुमाणोऽवण्णा इयरेसिं अक्खित्ते इह पुण अद्धारूवं इह सहसब्भक्खाणं इहरा अणत्थगं तं 9/28 15/49 14/7 14/33 15/46 18/50 7/16 9/25 14/46 8/7 14/37 12/16 14/19 9/46 12/41 इहरा उ ण समणत्तं इहरा उ णाभिहाणं इहरा ण सुत्तगुरुया इहरा ण हिंसगस्सऽवि इहरा बंभादीणं इहरा विवज्जओऽवि हु इहरा विवज्जतो खलु इहरा सदंतराया इहलोयपारलोइयकज्जाणं ईसरपभितीहिं तहिं उउदेवीणाहवणे उउबद्धे वासासु उ उक्कोसिया य पूजा उचियं खलु कायव्वं उचिओ जणोवयारो उचियं च इमं णेयं उचियमिह गीयवाइयमुचियाण उचियाणुट्ठाणाओ उज्जुजडा पुरिमा खलु उड्डाहोतिरियदिसं उत्तमगुणबहुमानो उत्ताणग पासल्ली उद्दिटुकडं भत्तंपि वज्जती उद्दिट्टकडं भुंजति उद्देसियं तु कम्म उद्देसिय साहुमाई उद्धरियसव्वसल्ला उपसंपया य काले 8/47 4/35 9/9 6/16 17/43 1/19 4/48 18/15 10/32 14/42 17/14 13/8 15/43 12/3 1/12 6/39

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