Book Title: Ogh Niryukti Part 02
Author(s): Gunhansvijay, Bhavyasundarvijay
Publisher: Kamal Prakashan Trust

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Page 10
________________ श्री सोध નિર્યુક્તિ भाग-२ ॥१॥ ण मो स म स्म मोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स ॥ ॥ चतुर्दशपूर्वधरश्रुतकेवलिश्रीमद्भद्रबाहुस्वामिभिरुद्धता अखण्डपाण्डित्ययुतश्रीद्रोणाचार्यकृतविवृतियुता श्री ओघनिर्युक्तिः भाग - २ ઓતિયુક્તિ ભાગ-૨ ओ.नि. : इदानीं प्रत्युपेक्षणीयमुच्यते, तत्प्रतिपादयन्नाह - ठाणे वगर या थंडिलअवद्वंभमग्गपडिलेहा । किंमाई पडिलेहा पुव्वण्हे चेव अवरहे ॥ २६४ ॥ 'स्थानं' कायोत्सर्गादि त्रिविधं वक्ष्यति, तथा 'उपकरणं' पात्रकादि 'स्थण्डिलं' यत्र कायिकादि क्रियते, अवष्टम्भनं स U स्म ओ म हा ॥१॥

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