Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 7
________________ नीति-शिक्षा-संग्रह से झगड़ना, 4 बुरा उपदेश देकर मनुष्यों को धर्म से भ्रष्ट करना / 19 चार प्रकृति पशुओं की हैं --1 धर्म सेवन करने में हमेशा उदासीन रहना, 2 हित अहित को ठीक 2 न समझना, . 3 विषयों में लोलुपी होना, 4 नीच भाषा में बोलना अर्थात् अश्लील शब्द बोलना / १२चार प्रकृति विनीत की हैं-१ सर्वदा सज्जनों का भय करना, २मनुष्य मात्र से प्रेम करना,३ दीनों पर हमेशा दयाभाव रखना, 4 विद्वानों की संगति करना / 13 चार प्रकृति लज्जावान् की हैं.–१ मधुरभाषी होना, 2 सदा धीरज रखना, 3 चतुरता से काम करना, 4 स्त्रियों में, मेले ठेलो में बहुधा न जाना। 14 चार प्रकृति निर्लज्ज की हैं--- 1 पनवट आदि ऐसी जगह बैठना,-जहां स्त्रियों का आना जाना अधिक हो, 2 धनवानों के निकट विना प्रयोजन अधिक बैठना, 3 विना विचारे हर एक से बोल बैठना, 4 स्त्रियों से अधिक बात चीत करना तथा उन के अंग देखना / . १६चार प्रकृति बहुत भली हैं- 1 किसी से नहीं मांगना, 2 गम्भीरहृदय होना, 3 लज्जा में प्रेम रखना, 4 अपने हिस्से का भोजन भी बांट कर खाना ! चार प्रकृति बहुत बुरी हैं----१ सूम होना, 2 महंकारी होना,

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