Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie पिनभवनिशानेपरेशोगाम्मिचहुश्रुननयास्यास्पन्नडिनंमन्यनयापरस्यवचनंनभृणोनि किचित् ज्ञानलनदुर्मिदग्यो गर्विष्ठसंवशीकर्नेबलापिनशक्तः इतरेषांकापारी 1 प्रसोनि अधुनामूः सन्मतिनिधिष्पचित्तमस्यचित्तमाराधिनशक्यं आराधनाभावेष्टांदेनवनि ज्ञानलबदिग्धंबह्मापिननरंनरंजयान 2 सयमाणमुहरेन्मकरय कदष्ट्राकुरासमुद्रमपिसनरमचल दूमिमालाकुलम् मोगामया विशेषतस्यवदंष्ट्रांकरस्पास्मन्माणिः समाणिः प्रसावलात्कारेणानिष्कासितुंशयः भ चेत्मकरवच्छेमणेरभावएपमोपिकालेनभायो भविष्याति तथाच पचलंतानांऊर्माणोलह रीणांमालाः समुरायास्सैराकुलंसमुद्रमपिबाहुभ्यामनरेन् नयाच कोपिनंभुजंगशिरमि For Private and Personal Use Only

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