Book Title: Nandisutra Mool Path Author(s): Chotelal Yati Publisher: Chotelal Yati View full book textPage 8
________________ [६] अत्थ महत्थक्खाणिं सुसमण वक्खाण कहण ॥ निव्वाणि ॥ पयईए महुरवाणिं पय पणमामि दूसगणिं ॥४७॥ तव नियम सब संजम विण्यज्जव खंति मद्दवरयाणं ॥ सील गुणगद्दियाणं श्रणुयोग जुगप्पाषाणं ॥ ४८ ॥ सुकुमाल कोमल तले तेसिं पणमामि लक्खए पत्थे पाए पावयणीणं पडिच्छ सय एहि पणि वहए ॥ ४६ ॥ जे ने भगवन्ते कालिय सुय आणु ओगिए धीरे ।। ते पणमिण सिरसा नाणस्स परूवणं वोच्छं ॥ ५० ॥* इति । २ सेल-घणे, कुडग, चालणि, परिपूणग, हंस, महिस, मेसे य, मसग, जलूर्ग, बिराली, जाहेग, गो, भेरी ११ ७ १४ आभीरी ॥ ५१ ॥Page Navigation
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