Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
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[ १३ ]
मणागयं च कालं जाणइ पासइ, भावओ एं ओहिनाणी जहन्नेणं अणंते भावे जाणइ पासह, उक्केसेवि
ते भावे जाणइ पासइ । सव्व भावाण मणंत भाग भावे जाणइ पास || १६ || ओही भवपचइत्रो गुणपचय वरिओ दुविहो । तस्स य बहू विगप्पा व्वे खिते य कालेय | नेरइयदेवतित्थंकरा य ओहिस्सबाहिरा हुंति । पासंति सव्वओ खलु सेसा देसे पासंति । से त्तं श्रहिनाणपञ्चक्खं से किं तं मणपज्जवनाएं ? मणपज्जवनाणे णं भंते! किं मणुस्साणं उप्पज्ज अमणुस्साणं ? गोयमा ! मणुस्साणं नो अमणुस्साएं ० ? जइमगुस्साएं किं संमुच्छिममणुस्साएं गन्भवक्कंतिय मणुस्साएं ? गोयमा ? नोसमुच्छिममणुस्साएं उपज्जई गन्भवकतियमणुस्साएं | जइगन्भवकंतियमणुस्साणं किं कम्मभूमिय गग्भवतिय मणुस्साणं, अकम्मभूमिय गग्भवतिय मणुस्सा, अन्तरदीवगगन्भवक्कंतिय मणुस्साणं, गोयमा ? कम्मभूमिय गन्भक्कंतियमणुस्साएं, नो कम्मभूमिय गन्भवतियमणुस्साणं, नो अन्तरदीवग गन्भ व ंतियमपुस्साणं कम्मभूमियगन्भवतियमणुस्साणं,
जइ
किं
संखिज्जवासाउयकम्मभूमिय गन्भवक्कंतियमणुस्साणं

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