Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 45
________________ [ ४३ ] - उद्देसणकाला, तिन्नि समुद्देसणकाला, संखेज्जाई. पयसइस्साईं पयग्गेणं संखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अनंता पज्जवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, सासयकडनिवद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, परणविज्जंति, परूविज्जंति, दंसिज्वंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, सेत्तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ह || सू० ५३ से किं तं परहावागरणाई ? परहावागरणेसु अट्टुत्तरं पसिणस, अट्टुत्तरं अपसिएसयं, अ तर परिणापसिणसयं; तंजहा - अंगुट्ठपसिणाई, वाहुपसिगाई, अहागपसिपाई, अन्नेविविचित्ता विज्जाइसया, नागसुवरणेहिं सद्धिं दिव्वा संवाया आघविज्जंति, पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा, संखेजा गदारा, संखेज्जा बेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेजाओ निज्जुत्सीओ, संखेजाओ संग हणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीओ; से णं गट्टयाए दसमे अंगे एगे सुयक्खंधे, पणयालीसं अज्भवणा, पणगुलीसं उद्देसणकाला, पणयालीसं समुद्देसण काला, संगाढसेपयसहस्साइं पयग्गेणं; संखेज्जा अक्खरा, अतः ५ अता पज्जवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, स्याप

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