Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 43
________________ - [ ४१ ] ट्ठयाए सत्तमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अज्झनणा, दस उद्देसणकाला, दस समुद्देसणकाला, संखेजा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेना अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज वा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा प्राघविजंति पन्नविजंति परूविजंति दंसिजति, निदंसिर्जति, उवदंसिर्जति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ; से तं उवासगदसाप्रो ७॥ सू० ।। ५१ ॥ सं किं तं अंतगडदसायो ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराई, उज्जाणाई, चेइयाई, वणसंडाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इढिविसेसा; भोगपरिच्चागा, पव्वजारो परित्रागा, सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई, संलेहणालो, भत्तपञ्चक्खाणाइं, पात्रोवगमणाई अंतकिरियाअो, आधविजंति; अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखिजा अणुअोगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजात्रो निजत्तीओ,संखेजात्रोसंगहणी, संखेजात्रोपडिवत्तीप्रो से गं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, अट्ठ समुहेसणकाला

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