Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 42
________________ [ ४० ] एगूणवीसं अज्झयणा, एगणवीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं,संखेजा अक्खरा,अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपएणत्ता भावा अाघविजंति परणविजंति परूविजंति देसिज्जति नि दसिजति उवदंसिजंति, से एवं अाया, एवं नाया, एवं विणाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, से त्तं नायाधम्मकहाअो ६ ॥ सू० ॥ ५० ॥ से किं तं उवासगदसाो ? उवासगदसासुणं समणोवासयाणं नगराई, उजाणाई, चेइयाई, वणसंडाई, समोसरपाइं, रायाणो, अम्मापिवरो, धम्मायरिया, धम्मकहाम्रो इहलोइयपरलोइया इढिविसेसा, भोगपरिचाया, पव्वजाओ, परिवागा, सुयपरिग्गहा, तवोवहागाई सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडिवजणया, पडिमाओ, उवसग्गा, संलेहणाओ, भत्तपचक्क्खांणाई, पाओवगमणाई, देवलोगगमणाई, सुकुलपचाईओ, पुणबोहिलाभा, अंतकिरियायो य आधविजंति; उवासगदसाणं परित्ता वायणा, संखेजा अणुप्रोगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजात्रो निजत्तीअो संखेजात्रो संगहणीश्रो, संखेजात्रो पडिवत्तीयो। से गं अंग

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