Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 56
________________ [ ५४ ] य ईहएयावि ५। तत्तो अपोहए ६ वा, धारेइ ७ करेइ वा सम्म ८॥१५॥ मूअं हुंकारं वा, वाढक्कारं पडिपुच्छ वीमंसा। तत्तो पसंगपारायणं च परिणिट्ट सत्तमए ॥६६॥ - सुत्तत्थो खलु पढमो, बीअो निज्जुत्तिमीसिओ भणियो। तइओ य निरवसेसो, एस विही होइ अणुप्रोगे॥१७॥ ___ सेत्तं अंगपविटुं, से त्तं सुयनाणं, सेत्तं परोक्खनाणं, से त्तं नंदी ॥ नंदी समत्ता ॥ AAAAAAAAAAA00000००००००००० इन नंदीसुक्तं समतल पुस्तकें मिलने के पते१-जैन हितेच्छु श्रावक ३-छोटेलाल यति - मंडल, रतलाम रांगडी चौक, बीकानेर २-घासीलाल चाँदमल जैन ४-जैन प्रकाश पुस्तकालय ... सहर शराय, रतलाम .. . सूजानगढ़

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